आज पहली बार दाढ़ी में सफ़ेद बाल आया
प्रतिबिम्ब मै आज पहली बार अपने बाप का चेहरा देखा
दफ्तर से लौटने पे रोज़ जिसके कंधे पे था चढ़ताआज महसूस हुई उसकी चिंता की रेखा
आज पहली बार ऐसा दिल का हाल आया
मांझा समझा हमेशा मैंने जिस बाप को
आज सोचा कितने कांच मै लोटा होगा वो
क्या उसको भी थी सिर्फ ५ मिनट के सुकून की तलाश?
क्या उसने भी अपने दिल से ज़्यादा बिल को टटोला?
क्या वो भी अपने सपने किसी कब्र में डाल आया?
उस सफ़ेद बाल को एकटक देखता रहा तो ये सवाल आया
कितना वक़्त बचा है मेरे पास?
जितने साल बचे नहीं, उस से ज़्यादा निकल गए
एक दिन के लिए जो जो बचा के रखा था
आज उन सब चीज़ों का मलाल आया
कॉलेज जाने से पहले, गली मै छुपके सिगरेट पीते हुए,
उस पुराने दोस्त के साथ बांटे हुए सपनो का ख्याल आया
एक दिन गोवा मै कॉलेज की रीयूनियन करेंगे!
हर साल व्हाट्सप्प पे ये वादे करते रहे
पर न जाने क्यों नहीं कभी वो साल आया
एक दिन भाई के साथ ब्लू लेबल पीनी थी
एक दिन वो गाडी खरीदनी थी जिसके पोस्टर थे चिपकाए
माँ मैं आपको लेके चलूँगा पेरिस एक दिन
कहाँ गया वो एक दिन? जाने कब
पैरों मै ये रोज़ी रोटी का जाल आया?
उस सफ़ेद बाल ने ये याद दिलाया
की कितने दोस्तों के फ़ोन आये तो मैंने कहा था
भाई अभी बिजी हूँ, संडे को आराम से फ़ोन करूँगा
कितनी बार बच्चो ने साथ खेलने को बोला, तो मैंने कहा
बेटा अभी बिजी हूँ, संडे को आराम से खेलूंगा
की कितनी बार बीवी ने साथ मै एक पिक्चर देखने को बोला
और हर बार उसने यही सुना
अरे अभी बिजी हूँ, संडे को आराम से देखूंगा
फिर पता नहीं कितने संडे सस्ते मोबाइल ढूंढ़ते हुए खोये
वक़्त के लेख जोख मै ये हिसाब भी लाल आया
माँ बाप से साल मै एक बार हूँ मिलता
उनके पास कितने साल और मेरे पास कितनी मुलाकातें है बची?
जिस गणित को सुधारने के लिए उन्होंने था डांटा
आज उसी गणित से ये सवाल आया
अभी तो टिकट है महंगी, उस वक़्त तो छुट्टी नहीं मिलेगी
ये गणित के चक्कर में जाने कितनी
मुलाकातें तो पहले ही टाल आया
उम्र निकल गयी है
जल्द ही मिलते है के वादे पूरे करे बिना
वादे और भी है, खुदसे और उनसे
पूरा करने वक़्त कहीं बेच ये अनाड़ी दलाल आया
उम्र निकलने पर ही उम्र का ख्याल आया
आज पहली बार जब दाढ़ी में सफ़ेद बाल आया