Sunday, June 9, 2019

ज़िंदगी हिसाब मांगती है




ज़िंदगी की इस भाग दौड़ में
मेरी कलम ठहर सी गयी है।
शब्दों की आंधी जो अंदर थी मेरे ,

धीरे धीरे ठंडी आहों में बदल गयी है।
 
कभी कभी Google Maps से ही ,इस जीवन की राह पूछता हूँ।
Directions तो मैं खुद ढूंढ लूंगा,

उस से सिर्फ जाना कहाँ है ये पूछता हूँ।
 
सुनता हूँ स्तब्ध दोस्तों के जलसो में अब,
तेरा EMI कितना ? तू कितनी Insurance भरता है ?
इन पलो को फिर से रंगीन करने लिए 
क्या कोई Instagram फ़िल्टर लगता है ?
 
दे नहीं पाया आज दिन के १० पल भी बीवी को
शायद कल iPhone X से कमी पूरी कर पाऊं।
१० साल का प्यार १० हज़ार के लिए गिरवी है
उसको बचाने के लिए कौनसा discount coupon लगाऊं?

माँ मेरी भेजे टूलिप्स की तस्वीरें ख़ुशी से
अपने दोस्तों को Facebook पे दिखाती है।
साल मै ५ दिन से ज़यादा मिल नहीं पाती,
ये दुखड़ा न जाने किसे, किस App पे बताती है ? 

 
आज फिर आगे बढ़ने के लिए झूट बोला,
कहीं करी चापलूसी तो किसी को टांग अड़ाई।
आत्मा शायद रोज़ थोड़ी मरती गयी लेकिन,
उसकी दुरुस्ती के लिए कौनसा Fitbit है भाई ? 


ऐसे मिली तरक्की की खबर
अपने बाप को न जाने कैसे सुनाऊंगा।
जिसने हमेशा बोला , बुरा काम न करना

उसको इसके बारे मे Whatsapp तो नहीं कर पाउँगा।
 
हम हाथों में लिए बैठे है चाबियां
अपने पिंजरों की, कोई तो हमको बताएं।
एक जिसके आदी है और दूसरा जो सपना है

उस यात्रा के लिए कोई तो एक Uber मंगवाए 


कुछ चीखें है दबी अंदर, जो पन्ने तक

आने के लिए आज फिर से शराब मांगती है
बोझ समझकर फैंक दिए थे कहीं 
ये आँखें वापस वो अपने ख्वाब मांगती है।  
कहने को नदी की तरह स्वछंद पर फिर भी 
दो किनारो के बीच फंसे, ज़िंदगी आज सैलाब मांगती है।
कितने महंगे पड़े ये चंद सिक्के 
मेरी आत्मा एक Excel में इसका हिसाब मांगती है 

 

1 comment:

  1. इतनी स्वछँदता और सरलता से आपने आज के मनुष्य की इंसानियत विहीन ज़िन्दगी दर्शा दी।
    आज देश में आप जैसे समाज को आईना दिखा देने वाले कवियों की जरूरत है।
    आप से आशा है की आप इसी प्रकार से हम सबको समय समय पर आईना दिखाते रहेंगे।

    ReplyDelete

Have something to say? Say it here